इस लोकडाउन ने जिदंगी ही बदल दी जेसे ही हुआ परीक्षा बदं सब बदं कोलेज होस्टल सब बदं सब कुछ बदं में भी बदं इस समय घर पर मै पागलपन नशीला पन नयी-नयी किताबों और अपने किरदारों को खोजने लगा यह 7 महीनों ने जिंदगी बिगाडी है या सुधारी है कुछ मालुम नहीं इस लोकडाउन ने मुझे एक #write बना दिया खुद को जिंदगी का किरदार समझ कर में सब कुछ कर रहा था इन सब में फिर से उसे खोजा पर वो अब तक नहीं मिला उस किरदार को खोजने के लिए में वापस उदयपुर आ गया पढाई “शहर” एक नयी जाँब सब मिल रहा है एक नया चेलेंज मुसीबतों के साथ मिला उम्मीद आयी पर मन उठते सवालों ने गैर रखा है क्या “कर रहा हूं क्या यह किरदार वैगेरे सब सोचते हैं क्या वो किरदार मिलेगा या नहीं मिलेगा यह सच में कोई पागलपन है एक बेवकूफी है क्योंकि मेरे स्टाफ के सवाल ही यहीं है कि” क्या तुम किसी से प्यार करते हो ‘कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं *”अब उन्हें कब तक समझाए कि मैं कोन हूँ क्या चाहीये जिंदगी से खुद से क्या चाहीये क्या कर रहा क्यु कर रहा कोन है वौ कब आयेगी नहीं पता बस उसका गहरा सा इंतजार है अब आजा #YAAR PLEASE
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