मायुसी सी में उम्मीद पीछा नहीं छोड़ती है….
. जाँब जिसे मैं दुर से एक हरे पहाड की तरह सी मेरी कल्पनाएं थी पर जब उस पहाड़ी के पास गया तो वौ मात्र मेरी एक कल्पनाएं ही थी जो मुझे घर से फिर से इस शहर के अंदर खीच लाई हैं मैं जब घर पर था तब खुद से काफी सारी उम्मीदें थीं सोच रहा था काम और पढाई दोनों साथ में होता जाएगा और यह मुश्किलें भरा समय निकल जाएगा पर अब सब कुछ बदल बदला सा लगता है मैं खुद खुद कर रहा हूं पता नहीं किस लिए कुछ पता नहीं क्यु कर रहा हूं नहीं जानता पर वो कहते हैं” अगर नया हैण्डपम्प लगाया जाता है तो पहले पानी हमें अंदर डालना पडता है” मेनें पानी तो नहीं डाला पर पानी भी आ गया है पर वो काफी जोर दे रहा है ऐसी ही है मेरी #LIFE भी में इस बेगाने से शहर आ तो गया पर जैब में एक भी पैसा नहीं है कमरा भी ले लिया उसे भी आधे पैसे दिए वो रोज कहता है
भाई पैसे कब देगा अब किस से पैसा लु घर वाले कि कोई कुछ बात भी नहीं कर रहा है हा बस एक मां अम्मी है जो फोन करती है वो भी किसी और फोन से बात करने के लिए घर वालों काफि बोला पर कोई असर नहीं हुआ है पता नहीं उनके अंदर क्या चल रहा है मुझे रोज परेशान करती जिंदगी ने भी सवाल करने शुरू कर दिए आखिर कब चलेगा ऐसा
मैं भी उसे एक ही बात बोलता हु ऐसा तब तक चलेगा जब मेरी पहली सेलेरी नहीं आ जाती है तब इस मायुसी के शिकार बने रहो
